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(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
गाँव वाले बहुत दुखी हुए। उन्होंने अपने किसी एक को खो दिया था, और वे जानते थे कि वे कभी भी उसकी जगह नहीं ले पाएंगे। लेकिन जब वे उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर के पास एकत्र हुए, तो उन्हें एहसास हुआ कि वृद्ध महिला उन्हें एक मूल्यवान सबक देकर गई है।
केवल पांडे आधी नदी पार कर चुके थे। घाट के ऊपर के पाट मे अब, उतरते चातुर्मास में, सिर्फ़ घुटनों तक पानी है, हालाँकि फिर भी अच्छा-ख़ासा वेग है धारा में। एकाएक ही मन मे आया कि संध्याकाल के सूर्यदेवता को नमस्कार करें, किंतु जलांजलि छोड़ने के लिए पूर्वाभिमुख शैलेश मटियानी
गुसाईं का मन चिलम में भी नहीं लगा। मिहल की छाँह से उठकर वह फिर एक बार घट (पनचक्की) के अंदर आया। अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूँ शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाड़कर एक ढेर शेखर जोशी
पेरिस ओलंपिक: महिला बॉक्सिंग विवाद में अब तक हमें क्या पता है और क्या नहीं?
वे जानते थे कि उसने पूरी जिंदगी कड़ी मेहनत की है और बदले में कभी कुछ नहीं मांगा। लेकिन अब, जब वह अस्पताल के बिस्तर पर मर रही थी, तो उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने उसे हल्के में लिया था। उन्होंने कभी भी वास्तव में उस सब की सराहना नहीं की जो उसने उनके लिए किया था, और कभी भी उन कठिनाइयों को नहीं समझा था जिनका उसने सामना किया था।
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एक समय की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में राजेश नाम का एक आदमी रहता था। वह पूरे गाँव में पहलवान नाई के रूप में जाना जाता था, यह उपाधि उसने जीवन में अपने दो जुनूनों के माध्यम से अर्जित की थी : कुश्ती और बाल काटना।
जैसे-जैसे साल here बीतते गए, जॉन और सारा के बच्चे बड़े हुए और उन्होंने अपना परिवार शुरू किया। श्रीमान और श्रीमती स्मिथ को अपने परिवार को बढ़ते और फलते-फूलते देखकर गर्व हुआ। वे अक्सर अपने घर पर पारिवारिक समारोहों का आयोजन करते थे, जहाँ हर कोई खाना खाने, खेल खेलने और एक-दूसरे के जीवन के बारे में जानने के लिए एक साथ आता था।
Maine apne mummy-daddy ki chudai kayi baar dekhi thi, lekin mummy ko usme khush nahi dekha tha. Padhiye kaise maine unki khushi dekhi.
किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे
उसके शरीर का आधा हिस्सा हिंदुस्तान और आधा पाकिस्तान की सीमा में आता है.
आखिर कौन है वो औरत जिसे देखकर शान्या आश्चर्यचकित हो जाती है ? क्या वो औरत उसके अतीत से जुडी हुई है ?
इसके अलावा रघुवीर सहाय, कुँवर नारायण, श्रीकांत वर्मा ने भी भाषा, बनावट, कथावस्तु, जीवनानुभवों की इतनी अलग और अनमोल कहानियाँ लिखी हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.